Aadhaar योजना विरोधी याचिका के प्रणेता Former Karnataka HC judge Justice KS Puttaswamy का निधन
न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टस्वामी: एक विस्तृत जीवन परिचय
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
- 8 फरवरी, 1926 को जन्म
- उच्च शिक्षा प्रतिष्ठित महाराजा कॉलेज, मैसूर से प्राप्त की
- कानूनी शिक्षा सरकारी लॉ कॉलेज, बेंगलुरु से पूरी की
- 1952 में वकालत की शुरुआत की
कानूनी करियर की यात्रा
- वकील के रूप में शुरुआती वर्षों में उल्लेखनीय प्रदर्शन
- कर्नाटक हाईकोर्ट में अतिरिक्त सरकारी वकील बने
- कानूनी क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए जाने गए
न्यायिक सेवा
- 28 नवंबर, 1977: कर्नाटक हाईकोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त
- 1977-1986: न्यायाधीश के रूप में महत्वपूर्ण निर्णय दिए
- 1986 में सेवानिवृत्ति तक न्याय व्यवस्था को मजबूत किया
प्रशासनिक भूमिकाएं
- केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण, बेंगलुरु:
- प्रथम उपाध्यक्ष (1986)
- न्यायाधिकरण की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका
- आंध्र प्रदेश में सेवाएं:
- प्रशासनिक न्यायाधिकरण के अध्यक्ष
- पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष
- समाज के कमजोर वर्गों के हितों की रक्षा की
ऐतिहासिक आधार याचिका
- 2012 में 86 वर्ष की आयु में आधार योजना को चुनौती दी
- मुख्य चिंताएं:
- बिना कानूनी आधार के योजना का क्रियान्वयन
- नागरिकों की निजता का मुद्दा
- डेटा सुरक्षा से जुड़े सवाल
सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय (2018)
- संविधान पीठ ने दिया ऐतिहासिक फैसला
- कुछ शर्तों के साथ आधार योजना को वैध माना
- निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता
- सरकार ने आधार अधिनियम बनाया
अंतिम समय
- 28 अक्टूबर, 2024 को बेंगलुरु में निधन
- 98 वर्ष की आयु में भी सक्रिय और जागरूक थे
- कानूनी जगत में अमिट छाप छोड़ी
विरासत
- न्यायिक क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान
- नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष
- निजता के अधिकार के लिए लड़ाई
- समाज के कमजोर वर्गों के हितों की रक्षा
- भारतीय न्याय व्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान
उनका जीवन कानून और न्याय के प्रति समर्पण का एक उदाहरण है। उन्होंने न केवल न्यायाधीश के रूप में बल्कि एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी देश की सेवा की।
Justice K.S. Puttaswamy: A Detailed Biography
Early Life and Education
Born on February 8, 1926
Received higher education from the prestigious Maharaja College, Mysore
Completed legal education from Government Law College, Bengaluru
Started practising in 1952
Legal Career Journey
Notable performance in early years as a lawyer
Became Additional Government Pleader in Karnataka High Court
Known for his exceptional contribution in the legal field
Judicial Service
November 28, 1977: Appointed Judge in Karnataka High Court
1977-1986: Delivered important judgments as a judge
Strengthened the judicial system till retirement in 1986
Administrative Roles
Central Administrative Tribunal, Bengaluru:
First Vice-Chairman (1986)
Key role in laying the foundation of the tribunal
Services in Andhra Pradesh:
Chairman of Administrative Tribunal
Chairman of Backward Classes Commission
Protected the interests of the weaker sections of the society
Historical Base Petition
Challenged the Aadhaar scheme in 2012 at the age of 86
Key concerns:
Implementation of the scheme without legal basis
Issue of privacy of citizens
Questions related to data security
Supreme Court decision (2018)
Historic verdict by the Constitution Bench
Considered the Aadhaar scheme valid with certain conditions
Recognition of the right to privacy as a fundamental right
Government enacted the Aadhaar Act
Last time
Died on October 28, 2024 in Bengaluru
Was active and aware even at the age of 98
Left an indelible mark in the legal world
Legacy
Outstanding contribution in the judicial field
Struggle for civil rights
Fight for the right to privacy
Protecting the interests of the weaker sections of the society
Significant contribution to the Indian judicial system
His life is an example of dedication to law and justice. He served the country not only as a judge but also as a social worker.