Lawrence Sharma Death ने उठाए कई सवाल : यूपी पीसीएस परीक्षा केंद्र के बाहर दर्दनाक हादसा
यूपी पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा के दूसरे चरण का दिन। परीक्षा केंद्र के बाहर स्टूडेंट्स के चेहरों पर भविष्य को लेकर उम्मीदों का सागर। लेकिन इस उम्मीद भरे माहौल में अचानक एक ऐसा दृश्य सामने आया जिसने हर किसी को स्तब्ध कर दिया। बुलंदशहर के 21 वर्षीय लॉरेंस शर्मा, जिन्होंने PCS बनने का सपना देखा था, परीक्षा देकर बाहर निकले और अचानक ज़मीन पर गिर पड़े। उनकी सांसे थम चुकी थीं।
“मेरे बेटे का सपना अधूरा रह गया”
लॉरेंस, अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे। पिता प्रवीण शर्मा, जो एक किसान हैं, और मां रजनी, जो गृहिणी हैं, ने बेटे के आईएएस बनने के सपने को पूरे परिवार का सपना बना लिया था। लेकिन अमरोहा के रजबपुर क्षेत्र के नेहरू स्मारक इंटर कॉलेज में परीक्षा देने के बाद, लॉरेंस अचानक बेहोश होकर गिर गए।
मौके पर मौजूद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उन्हें अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
एक महीने पुराना हादसा: क्या बनी मौत की वजह?
लॉरेंस के शरीर पर चोटों के निशान थे। उनकी दाईं कलाई पर पट्टी बंधी हुई थी और आंख के पास हल्की चोट का संकेत था। जांच से पता चला कि एक महीने पहले बुलंदशहर में एक सड़क हादसे में वह घायल हुए थे। उनका इलाज मुरादाबाद के एक निजी अस्पताल में चल रहा था।
सीओ सिटी अरुण कुमार के अनुसार, लॉरेंस ने अपनी गंभीर स्थिति के बावजूद परीक्षा देने का फैसला किया। यह उनका दृढ़ निश्चय ही था जिसने उन्हें अस्पताल से छुट्टी लेकर परीक्षा हॉल तक पहुंचाया। लेकिन दो पालियों की परीक्षा और पुरानी चोटों का असर शायद उनके लिए घातक साबित हुआ।
छात्रों की मौत और परीक्षा दबाव: बड़ी तस्वीर
लॉरेंस की मौत ने न केवल उनके परिवार बल्कि हर प्रतियोगी छात्र के दिल को झकझोर कर रख दिया है। क्या परीक्षा के दबाव और स्वास्थ्य की अनदेखी ने यह हादसा किया? या यह परीक्षा प्रणाली में छिपी एक और खामी है, जो छात्रों को उनके स्वास्थ्य से समझौता करने पर मजबूर करती है?
छात्रों की लंबे समय तक बैठने की क्षमता, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य, और परीक्षा केंद्रों की तैयारियों को लेकर यह घटना कई गंभीर सवाल खड़े करती है।
लॉरेंस के लिए श्रद्धांजलि और सबक
लॉरेंस की मौत ने एक ऐसी कहानी को जन्म दिया है जिसे हर प्रतियोगी छात्र को पढ़ना चाहिए। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमारे सपने कितने भी बड़े क्यों न हों, उनका पीछा करते समय अपनी सेहत को नज़रअंदाज़ करना घातक हो सकता है।
हमारी श्रद्धांजलि लॉरेंस शर्मा के अधूरे सपनों और उनके संघर्ष को। उनका जीवन प्रेरणा देता है, लेकिन उनकी मौत चेतावनी। परीक्षा सिर्फ सफलता का दरवाज़ा नहीं, बल्कि जीवन के प्रति संतुलित दृष्टिकोण का भी प्रतीक होनी चाहिए।
“लॉरेंस की कहानी हर छात्र की कहानी है। सपनों के पीछे दौड़ते समय अपनी सेहत और आत्मिक शांति का ख्याल रखना, यही असली सफलता है।”
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