Sanjiv Khanna बने भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश | Breaking News

Sanjiv Khanna :

न्यायमूर्ति Sanjiv Khanna बने भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश

आज का दिन भारतीय न्यायिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ गया, जब न्यायमूर्ति Sanjiv Khanna ने भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक गरिमामयी समारोह में उन्हें पद की शपथ दिलाई। इस ऐतिहासिक अवसर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई महत्वपूर्ण मंत्रियों की उपस्थिति रही। समारोह में हाल ही में सेवानिवृत्त हुए पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल हुए।

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Sanjiv Khanna बने भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश | Breaking News

दिल्ली में जन्मे न्यायमूर्ति Sanjiv Khanna की शिक्षा प्रतिष्ठित मॉडर्न स्कूल बाराखंभा रोड और सेंट स्टीफन कॉलेज से हुई है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की। उनके पिता, न्यायमूर्ति देव राज खन्ना, दिल्ली उच्च न्यायालय के जज रह चुके हैं और उनकी माता, सरोज खन्ना, लेडी श्रीराम कॉलेज में प्राध्यापक थीं। उनके चाचा, न्यायमूर्ति हंसराज खन्ना, उस ऐतिहासिक आपातकालीन फैसले में अपनी अल्पमत राय के लिए आज भी याद किए जाते हैं, जिसमें उन्होंने व्यक्ति की स्वतंत्रता को सर्वोच्च रखा।

न्यायमूर्ति खन्ना का अब तक का सफर कई महत्वपूर्ण फैसलों से भरा रहा है। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की वैधता को बरकरार रखते हुए मतदाताओं का विश्वास मजबूत किया है और जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने जैसे महत्वपूर्ण फैसलों में अपनी भूमिका निभाई है। इसके अलावा, उन्होंने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए पारदर्शिता की दिशा में एक अहम कदम उठाया।

न्यायमूर्ति खन्ना का कार्यकाल भले ही मात्र छह महीने का होगा, लेकिन उनसे न्यायिक सुधारों और संविधान की रक्षा में कई अहम पहल की उम्मीदें हैं।

मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) किसी भी न्यायिक प्रणाली में सर्वोच्च न्यायालय का सबसे उच्चतम पद होता है। भारत में, भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India – CJI) सुप्रीम कोर्ट के सर्वोच्च न्यायाधीश होते हैं और वे न्यायपालिका के प्रमुख होते हैं। आइए इस पद से जुड़ी कुछ बुनियादी जानकारी पर नजर डालते हैं:

1. मुख्य न्यायाधीश का चयन:

  • भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। यह परंपरा है कि सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश को मुख्य न्यायाधीश बनाया जाता है।
  • मुख्य न्यायाधीश का कार्यकाल उनके 65 वर्ष की आयु तक होता है, जिसके बाद उन्हें अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त होना पड़ता है।

2. मुख्य न्यायाधीश की भूमिका और जिम्मेदारियां:

  • न्यायिक नेतृत्व: मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट में मामलों की सुनवाई के लिए बेंचों का गठन करते हैं और यह तय करते हैं कि कौन से मामले किस बेंच में जाएंगे।
  • प्रशासनिक भूमिका: मुख्य न्यायाधीश न्यायपालिका के विभिन्न प्रशासनिक कार्यों की देखरेख करते हैं, जैसे कि न्यायालय के प्रशासनिक स्टाफ की नियुक्ति और न्यायालय की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाना।
  • न्यायिक सुधार: मुख्य न्यायाधीश न्याय प्रणाली में सुधार लाने के लिए कई योजनाएं बनाते हैं और जनता के न्याय तक पहुंच को आसान बनाते हैं।

3. सुप्रीम कोर्ट में मामलों की सुनवाई में भूमिका:

  • मुख्य न्यायाधीश खुद कई बड़े और महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई का हिस्सा होते हैं। वे संविधान बेंच में बैठ सकते हैं, जहां संवैधानिक मामलों और देश की बड़ी कानूनी चुनौतियों पर निर्णय लिए जाते हैं।

4. मुख्य न्यायाधीश का संवैधानिक महत्व:

  • भारतीय संविधान में मुख्य न्यायाधीश को उच्चतम न्यायिक शक्ति और गरिमा दी गई है। वे न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखते हुए कानून और संविधान की रक्षा करते हैं।

5. चुनौतियाँ और महत्व:

  • मुख्य न्यायाधीश के सामने कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ होती हैं, जैसे कि न्याय में देरी को कम करना, न्यायपालिका में पारदर्शिता बढ़ाना, और देश के सभी लोगों को न्याय तक पहुँच सुनिश्चित करना। उनका निर्णय और न्याय प्रणाली पर उनकी दिशा देश के कानूनी और सामाजिक ढांचे पर गहरा प्रभाव डालता है।

मुख्य न्यायाधीश न केवल कानून के संरक्षक होते हैं बल्कि संविधान की भी रक्षा करते हैं। उनके नेतृत्व में न्यायपालिका जनता का विश्वास और कानून की भावना को बनाए रखती है।

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