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RBI Monetary Policy 2024 : CRR कट की उम्मीद, अर्थव्यवस्था पर क्या पड़ेगा असर | Breaking News

RBI Monetary Policy 2024

RBI Monetary Policy 2024

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CRR कट की उम्मीद: अर्थव्यवस्था पर क्या पड़ेगा असर?

(RBI Monetary Policy 2024 )भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC),जिसकी अध्यक्षता गवर्नर शक्तिकांत दास कर रहे हैं, 6 दिसंबर 2024 को अपनी प्रमुख घोषणाएँ करने वाली है। विशेषज्ञों का कहना है कि मंदी के संकेतों और नकदी संकट को देखते हुए कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में कटौती की संभावनाएं बढ़ रही हैं।

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CRR क्या है?

कैश रिजर्व रेशियो (CRR) वह प्रतिशत है जिसे बैंकों को अपनी कुल जमा राशि का एक हिस्सा आरबीआई के पास रिजर्व के रूप में रखना होता है। वर्तमान में यह 4.5% पर तय है।

मौजूदा परिदृश्य में CRR कट की चर्चा क्यों?

विशेषज्ञों का मानना है कि 0.50% की कटौती से बैंकिंग प्रणाली में नकदी प्रवाह बेहतर हो सकता है, जिससे आर्थिक गतिविधियाँ तेज होंगी।


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CRR कट का संभावित प्रभाव

प्रभाव क्षेत्र संभावित लाभ
बैंकिंग प्रणाली 1.15 लाख करोड़ रुपये की नकदी प्रविष्ट होगी।
आर्थिक गतिविधियाँ उधारी बढ़ेगी, जिससे निवेश और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
महंगाई नियंत्रण नकदी संतुलन के साथ महंगाई पर भी नियंत्रण रखा जाएगा।
निवेश और व्यापार व्यवसायों को कम ब्याज दरों पर ऋण मिलेगा।

विशेषज्ञों की राय

  1. सुमन चौधरी (Acuité Ratings):
    “CRR में कटौती का अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। दिसंबर 2024 और फरवरी 2025 के बीच 50 आधार अंकों की कटौती की संभावना है।”
  2. राधिका राव (DBS Bank):
    “मध्य दिसंबर में अग्रिम कर संग्रह से नकदी संकट बढ़ सकता है। ऐसे में CRR कट का निर्णय संभव है।”
  3. मंदर पिटाले (SBM Bank):
    “CRR में 25 आधार अंकों की कटौती दो चरणों में फरवरी तक हो सकती है।”

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आगे की राह

वर्तमान में, RBI ने फरवरी 2023 से रेपो दर को 6.5% पर स्थिर रखा है। हालांकि, आर्थिक मंदी और घटती महंगाई के चलते आगामी महीनों में नीति को नरम किए जाने की संभावना है।

अगर CRR में कटौती होती है, तो यह अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा। इससे न केवल बैंकों को नकदी संकट से राहत मिलेगी, बल्कि निवेश और विकास को भी बल मिलेगा।

आपकी राय: क्या आप मानते हैं कि यह कदम अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा? हमें अपनी राय कमेंट में बताएं।

Monetary Policy Committee

मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee – MPC) भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की एक महत्वपूर्ण समिति है, जिसका उद्देश्य देश की मौद्रिक नीति निर्धारित करना है। इसका मुख्य काम आर्थिक स्थिरता को बनाए रखना, महंगाई को नियंत्रित करना और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है।

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MPC के प्रमुख कार्य:

  1. रेपो दर और रिवर्स रेपो दर का निर्धारण: MPC देश में ब्याज दरों को निर्धारित करती है, जैसे कि रेपो दर (जो कि वो दर है जिस पर RBI बैंकों को धन उधार देती है) और रिवर्स रेपो दर (जो दर है जिस पर बैंकों को RBI से धन रखने पर ब्याज मिलता है)। इन दरों के माध्यम से आर्थिक गतिविधियों पर प्रभाव डाला जाता है।
  2. महंगाई पर नियंत्रण: MPC का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य महंगाई को 4% (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) तक सीमित रखना है। यह देश की कीमतों में स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है।
  3. आर्थिक विकास को बढ़ावा देना: MPC का उद्देश्य स्थिर आर्थिक वृद्धि सुनिश्चित करना है, जिसके लिए समय-समय पर ब्याज दरों में बदलाव किया जाता है।
  4. बैंकिंग प्रणाली की तरलता पर ध्यान देना: MPC मौद्रिक नीति के माध्यम से बैंकिंग प्रणाली में तरलता बनाए रखने का प्रयास करती है, ताकि बैंकों को पर्याप्त धन उपलब्ध हो सके और वे अधिक उधारी दे सकें।

MPC की संरचना:

MPC में कुल 6 सदस्य होते हैं:

इन 6 सदस्य मिलकर मौद्रिक नीति के निर्णय लेते हैं, और ये निर्णय प्रत्येक दो महीने में होते हैं।

MPC की बैठकें:

MPC हर दो महीने में बैठक करती है, जिसमें वह मौजूदा आर्थिक स्थिति, महंगाई दर, जीडीपी वृद्धि दर, और अन्य महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतकों का विश्लेषण करती है। इन बैठकों के बाद जो निर्णय होते हैं, वह सार्वजनिक रूप से घोषित किए जाते हैं।

MPC भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसका उद्देश्य महंगाई को नियंत्रित करते हुए आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देना है, ताकि देश की वित्तीय स्थिति मजबूत बनी रहे।

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