Cyclone Fengal : पुडुचेरी में बाढ़ जैसे हालात, चेन्नई में ऊंची लहरें
Cyclone Fengal ने 30 नवंबर, 2024 की रात को पुडुचेरी के पास तट को पार किया, जिससे तमिलनाडु के उत्तरी तटीय जिलों में भारी बारिश और तेज़ हवाएं चलीं। चेन्नई और इसके आसपास के निचले इलाकों में पानी भर गया, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। बारिश से संबंधित घटनाओं में चेन्नई में तीन लोगों की मृत्यु की खबर है।
प्रमुख प्रभाव
- भारी बारिश और तेज हवाएं: चक्रवात के प्रभाव से 90 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं। चेन्नई में पिछले 24 घंटों में 10.902 सेमी बारिश रिकॉर्ड की गई।
- उड़ानों पर असर: चेन्नई हवाई अड्डे पर संचालन बंद होने के कारण 226 उड़ानें रद्द और 20 उड़ानें अन्य हवाई अड्डों पर मोड़ दी गईं। संचालन 1 दिसंबर की सुबह फिर से शुरू हुआ।
- रेल और बिजली सेवाएं प्रभावित: चेन्नई और आसपास के क्षेत्रों में उपनगरीय रेल सेवाएं बाधित हुईं, और कई क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति ठप हो गई।
पुडुचेरी में बाढ़ जैसे हालात
पुडुचेरी में शनिवार को सुबह 8:30 बजे से शाम 6:00 बजे तक 10 सेमी बारिश दर्ज की गई। हालांकि भारी जलभराव की सूचना नहीं मिली, लेकिन ईस्ट कोस्ट रोड, 45 फीट रोड और बसी स्ट्रीट जैसे कुछ मार्गों पर जलजमाव हुआ।
राहत कार्य और तैयारी
- राहत शिविर: तिरुवल्लूर, कांचीपुरम और चेंगलपट्टू जिलों में लगभग 3,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।
- चेतावनी और आपातकालीन नंबर: तमिलनाडु राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने राज्य और जिला हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं:
- राज्य हेल्पलाइन: 1070
- जिला हेल्पलाइन: 1077
- व्हाट्सएप नंबर: 9445869848
Cyclone क्या है?
साइक्लोन एक प्रकार का भयंकर तूफान है, जो वायुमंडल के निचले हिस्से में गर्म हवा के तेज़ दबाव से उत्पन्न होता है। यह समुद्र के गर्म पानी से ऊर्जा प्राप्त करता है और तेज़ हवाओं, भारी बारिश, और समुद्री लहरों को जन्म देता है।
Cyclone कैसे बनता है?
- गर्म समुद्र का पानी: साइक्लोन बनने के लिए समुद्र का पानी कम से कम 27 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक गर्म होना चाहिए।
- निम्न वायुदाब: जब गर्म पानी की भाप ऊपर उठती है, तो वह ठंडी होकर संघनित हो जाती है। इससे बादल और निम्न दबाव क्षेत्र (Low Pressure Area) बनता है।
- गति और घूमाव: पृथ्वी की घूर्णन गति (Coriolis Effect) के कारण यह निम्न दबाव क्षेत्र चक्रवात में बदल जाता है।
साइक्लोन के प्रकार:
- ट्रॉपिकल साइक्लोन (Tropical Cyclone): यह गर्म समुद्रों में बनता है और भारत के तटीय क्षेत्रों में सबसे अधिक प्रभाव डालता है।
- एक्स्ट्रा-ट्रॉपिकल साइक्लोन (Extra-Tropical Cyclone): यह ठंडी हवाओं और वायुदाब के कारण बनता है।
साइक्लोन के प्रभाव:
- भारी बारिश: बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।
- तेज़ हवाएं: पेड़, बिजली के खंभे, और घरों को नुकसान पहुंचता है।
- समुद्री लहरें: तटीय क्षेत्रों में समुद्र की लहरें बहुत ऊंची उठती हैं, जिससे जान-माल का नुकसान हो सकता है।
- फसलों का नुकसान: खेतों और फसलों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है।
भारत में साइक्लोन प्रभावित क्षेत्र:
- पूर्वी तट: बंगाल की खाड़ी में बनने वाले साइक्लोन भारत के पूर्वी तट (ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु) को प्रभावित करते हैं।
- पश्चिमी तट: अरब सागर में बनने वाले साइक्लोन पश्चिमी तट (गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, केरल) को प्रभावित करते हैं।
साइक्लोन से बचाव के उपाय:
- चेतावनी सुनें: मौसम विभाग द्वारा जारी चेतावनियों को ध्यान से सुनें।
- सुरक्षित स्थान पर जाएं: निचले क्षेत्रों को खाली कर ऊंचे स्थानों पर चले जाएं।
- आवश्यक सामान तैयार रखें: दवाइयां, पानी, खाना, टॉर्च, और मोबाइल चार्ज रखें।
- समुद्र से दूर रहें: मछुआरों और स्थानीय निवासियों को समुद्र के पास न जाने की सलाह दी जाती है।
भारत में साइक्लोन का नामकरण:
साइक्लोन का नामकरण वर्ल्ड मीटियोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (WMO) और देशों के समूह (जैसे भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान) द्वारा किया जाता है। उदाहरण के लिए, “फेंगल” नाम बांग्लादेश ने सुझाया है।
साइक्लोन का नामकरण कैसे होता है?
1. क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्रों की भूमिका
- भारत सहित 13 देश साइक्लोन का नामकरण करते हैं।
- यह प्रक्रिया डब्ल्यूएमओ और यूएन (संयुक्त राष्ट्र) के इकोनॉमिक एंड सोशल कमीशन फॉर एशिया एंड पैसिफिक (ESCAP) के तहत संचालित होती है।
- भारत में यह कार्य भारतीय मौसम विभाग (India Meteorological Department – IMD) द्वारा संभाला जाता है।
2. 13 देश कौन-कौन से हैं?
- भारत
- पाकिस्तान
- बांग्लादेश
- मालदीव
- म्यांमार
- ओमान
- श्रीलंका
- थाईलैंड
- ईरान
- कतर
- सऊदी अरब
- संयुक्त अरब अमीरात (UAE)
- यमन
3. नाम सुझाने की प्रक्रिया
- प्रत्येक देश एक सूची तैयार करता है, जिसमें वह 13 नाम सुझाता है।
- नाम छोटे, स्पष्ट, और सांस्कृतिक महत्व रखने वाले होने चाहिए।
- नाम ऐसा होना चाहिए, जिसे आसानी से उच्चारित किया जा सके और किसी समुदाय या क्षेत्र को आहत न करे।
4. नामों का चयन और उपयोग
- सभी देशों की नाम सूचियों को मिलाकर एक मास्टर सूची बनाई जाती है।
- साइक्लोन का नाम इस सूची से क्रमवार चुना जाता है।
- एक बार उपयोग होने के बाद नाम फिर से इस्तेमाल नहीं किया जाता।
Cyclone नामकरण का उदाहरण
बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में साइक्लोन:
- “फेंगल” (2024): यह नाम बांग्लादेश द्वारा दिया गया था।
- “यास” (2021): यह नाम ओमान ने दिया था।
- “अम्फान” (2020): यह नाम थाईलैंड ने दिया था।
अरब सागर क्षेत्र में साइक्लोन:
- “ताउते” (2021): यह नाम म्यांमार द्वारा दिया गया था।
- “निसर्ग” (2020): यह नाम भारत ने दिया था।
साइक्लोन के नामकरण के नियम
- संक्षिप्त और सरल: नाम 8 अक्षरों से अधिक का नहीं होना चाहिए।
- संस्कृति का सम्मान: नाम किसी देश, जाति, धर्म, या राजनीतिक मुद्दे से न जुड़ा हो।
- भविष्य में दोहराव नहीं: एक बार उपयोग होने के बाद नाम स्थायी रूप से हटा दिया जाता है।
- सामान्य और स्पष्ट: नाम ऐसा हो जिसे क्षेत्रीय भाषाओं में आसानी से समझा और बोला जा सके।
नामकरण की सूची का क्रम
साइक्लोन के नाम उपयोग के लिए सुझाव देने वाले देश के क्रम में चुने जाते हैं। जैसे:
- पहला साइक्लोन: भारत की सूची से नाम लिया जाएगा।
- दूसरा साइक्लोन: बांग्लादेश की सूची से नाम लिया जाएगा।
- इसी तरह क्रम जारी रहता है।
संबंधित तथ्य
- IMD ने 2020 में नए नामों की सूची जारी की थी, जिसमें 169 नाम शामिल थे।
- सूची में भारत के सुझाए गए नाम हैं: निसर्ग, गति, मुरासु, आदि।
निष्कर्ष
साइक्लोन का नामकरण एक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक प्रक्रिया है, जो न केवल प्रभावी संचार को सुनिश्चित करती है, बल्कि जनता को सतर्क रहने में मदद भी करती है। यह प्रक्रिया आपदा प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।