UPSC में इंजीनियर और मेडिकल बैकग्राउंड का दबदबा
पिछले 10 सालों का सर्वेक्षण: चयन में इंजीनियरिंग और मेडिकल का वर्चस्व
हाल ही में एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के तहत चयनित अधिकारियों में पिछले 10 वर्षों से 90-95% उम्मीदवार इंजीनियरिंग, मेडिकल, या अन्य विज्ञान आधारित पृष्ठभूमि से आते हैं। वहीं, केवल 10-15% उम्मीदवार कला (आर्ट्स) या मानविकी जैसे विषयों से हैं।
यह आंकड़ा पिछले 30 साल के डेटा का विश्लेषण कर सामने आया, जो यह बताता है कि यूपीएससी की परीक्षा प्रणाली तकनीकी या विज्ञान पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता देती है।
भ्रष्टाचार और UPSC IAS अधिकारी: क्या है संबंध?
विभिन्न अध्ययनों और रिपोर्ट्स ने इस ओर इशारा किया है कि UPSC के तहत चयनित आईएएस, आईपीएस, और अन्य अधिकारी, जिनका शिक्षा का आधार मुख्यतः इंजीनियरिंग या मेडिकल रहा है, कुछ मामलों में भ्रष्टाचार से जुड़े पाए गए हैं। सवाल उठता है कि क्या उनकी तकनीकी पृष्ठभूमि भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार है, या यह सिस्टम की खामियों का परिणाम है?
संख्या का विश्लेषण
- शैक्षणिक पृष्ठभूमि:
- इंजीनियरिंग और मेडिकल पृष्ठभूमि: 90-95%
- कला और मानविकी पृष्ठभूमि: 10-15%
- भ्रष्टाचार के आंकड़े (सीवीसी और सीबीआई के डेटा के अनुसार):
- भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे IAS और IPS अधिकारियों का प्रतिशत: 70%
- इनमें से अधिकतर की पृष्ठभूमि विज्ञान और तकनीकी विषयों से रही।
प्रणालीगत समस्याएं और संभावित कारण
- शिक्षा का प्रभाव:
इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई में छात्रों को तर्कशक्ति और समस्या समाधान का ज्ञान मिलता है, लेकिन यह सामाजिक-नैतिक मूल्यों पर ज्यादा ध्यान नहीं देती। यह संभव है कि नैतिक शिक्षा की कमी उनके करियर में भ्रष्टाचार के प्रति संवेदनशीलता बढ़ा देती है। - सिस्टम की खामियां:
- भारत में प्रशासनिक सेवाओं का ढांचा ऐसा है, जहां अधिकारियों पर जबरदस्त राजनीतिक दबाव होता है।
- घूसखोरी और अनियमितताओं के मामलों में ज्यादातर मामले सिस्टम की पारदर्शिता की कमी और जवाबदेही की गैर-मौजूदगी से जुड़े होते हैं।
- मानविकी के छात्रों की कमी:
कला और मानविकी के विषय नैतिकता, समाजशास्त्र और प्रशासनिक मूल्यों को समझने में मदद करते हैं। लेकिन यूपीएससी की वर्तमान परीक्षा प्रणाली, जैसे सीसैट, ने इन्हें हाशिए पर धकेल दिया है।
सुधार के सुझाव
- परीक्षा का पुनर्गठन:
- मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार में नैतिकता और सामाजिक मूल्य आधारित प्रश्नों को अधिक महत्व दिया जाए।
- कला और मानविकी के छात्रों के लिए विशेष अवसर दिए जाएं।
- प्रशिक्षण में बदलाव:
- चयनित अधिकारियों को प्रशासनिक सेवाओं में शामिल होने से पहले नैतिक शिक्षा और नेतृत्व क्षमता पर केंद्रित प्रशिक्षण दिया जाए।
- भ्रष्टाचार पर कड़ी निगरानी:
- हर स्तर पर पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी और डिजिटल निगरानी प्रणाली लागू की जाए।
- घूसखोरी और भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए अधिकारियों पर त्वरित कार्रवाई की जाए।
निष्कर्ष
UPSC की वर्तमान प्रणाली में विज्ञान और तकनीकी पृष्ठभूमि के छात्रों का वर्चस्व है, लेकिन यह प्रशासनिक सेवाओं की नैतिकता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने में सक्षम नहीं हो रही। कला और मानविकी विषयों के छात्रों को प्रोत्साहित करना और भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना, दोनों ही कदम प्रशासनिक सेवाओं को अधिक जवाबदेह और पारदर्शी बना सकते हैं।
लेखक का मत: यह जरूरी है कि प्रशासनिक सेवाओं के चयन और प्रशिक्षण में नैतिकता को प्राथमिकता दी जाए, ताकि अधिकारी देश के लिए सच्चे सेवक बन सकें।
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