Delhi Air Pollution दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की स्वीकृत सीमा से 65 गुना अधिक हो गया है, और एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 500 से ऊपर पहुँच चुका है।
दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति – मुख्य बिंदु
- एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) खतरनाक स्तर पर
- दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 507 रिकॉर्ड किया गया है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की स्वीकृत सीमा से 65 गुना अधिक है।
- यह स्तर ‘खतरनाक’ श्रेणी में आता है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक है।
- वायु गुणवत्ता का बिगड़ना
- दीपावली के दो दिन बाद दिल्ली में वायु गुणवत्ता गंभीर रूप से खराब हो गई, और रविवार को AQI 500 के पार पहुँच गया।
- AQI का मान 450 से ऊपर होने पर इसे “सीवियर-प्लस” श्रेणी में माना जाता है, जो निवासियों के स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है।
- PM2.5 स्तर का बढ़ना
- दिल्ली-एनसीआर में PM2.5 का स्तर WHO के मानकों से 65 गुना अधिक है, जो कि सांस लेने के लिए अत्यंत जोखिमपूर्ण है।
- पिछले 12 घंटों में AQI में वृद्धि
- शनिवार रात 9 बजे AQI 327 था, जो अगले 12 घंटों में 507 तक पहुँच गया।
- प्रमुख स्थानों की AQI स्थिति
- दिल्ली के कई क्षेत्रों जैसे अलीपुर, आनंद विहार, द्वारका, नरेला, पटपड़गंज, रोहिणी आदि में AQI ‘बहुत खराब’ दर्ज की गई है।
- दीपावली के बाद प्रदूषण में वृद्धि
- दीपावली के बाद हवा की गुणवत्ता और खराब हो गई। एक सर्वे के अनुसार, दिल्ली के अधिकांश निवासियों ने प्रदूषित हवा से सांस लेने में कठिनाई का सामना किया।
- स्वास्थ्य पर प्रभाव
- सर्वे के मुताबिक, 69% परिवारों के कम से कम एक सदस्य को सांस संबंधी समस्याएं हुईं, और 62% को आंखों में जलन महसूस हुई।
- GRAP-II का कार्यान्वयन
- वायु प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली-एनसीआर में Graded Response Action Plan (GRAP-II) लागू है, लेकिन इसके बावजूद वायु गुणवत्ता में सुधार नहीं हो रहा।
- 21 अक्टूबर से ही क्षेत्र में GRAP-II लागू है ताकि प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित किया जा सके।
इन बिंदुओं से साफ है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है, जो लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल रही है।
वायु प्रदूषण: एक गंभीर समस्या
प्रस्तावना
वायु प्रदूषण आज के समय में एक प्रमुख पर्यावरणीय समस्या बन गया है। यह ना केवल पर्यावरण को बल्कि मानव स्वास्थ्य और वन्यजीवन को भी गंभीर रूप से प्रभावित करता है। भारत सहित विश्व के अनेक बड़े शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर चिंताजनक स्थिति में पहुंच गया है। वायु प्रदूषण का मुख्य कारण औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, वाहनों की संख्या में वृद्धि, और विभिन्न प्रकार के रसायनों का उपयोग है।
वायु प्रदूषण क्या है?
वायु प्रदूषण से तात्पर्य है हवा में हानिकारक तत्वों और गैसों का मिल जाना, जो स्वच्छ हवा की गुणवत्ता को खराब कर देते हैं। वायु प्रदूषण के प्रमुख तत्वों में PM2.5, PM10, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और ओजोन शामिल हैं। इनमें से PM2.5 और PM10 अति सूक्ष्म कण होते हैं, जो मानव फेफड़ों और अन्य शारीरिक अंगों में आसानी से प्रवेश कर सकते हैं और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण
- वाहनों का उत्सर्जन
- वाहनों से निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत है। विशेषकर डीजल और पेट्रोल वाहनों से निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड वायु गुणवत्ता को खराब करती हैं।
- औद्योगिक गतिविधियां
- उद्योगों से निकलने वाले रासायनिक पदार्थ और धुएं का मिश्रण वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण है। कारखानों में जलाए जाने वाले कोयला, लकड़ी, और अन्य जीवाश्म ईंधन से निकलने वाली गैसें वायु प्रदूषण को बढ़ाती हैं।
- निर्माण कार्य
- निर्माण कार्यों के दौरान उड़ने वाली धूल और मलबे का कण भी वायु प्रदूषण में योगदान देते हैं। बड़े शहरों में लगातार निर्माण कार्य चलने के कारण वायु गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
- कृषि में पराली जलाना
- विशेषकर उत्तर भारत में फसल कटाई के बाद पराली जलाने की समस्या होती है, जिससे भारी मात्रा में धुआं उत्पन्न होता है और आस-पास के क्षेत्रों में प्रदूषण फैलता है।
- प्लास्टिक और कचरे का जलना
- कचरे, विशेषकर प्लास्टिक के जलने से हानिकारक गैसें और विषैले तत्व वायुमंडल में मिल जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होते हैं।
वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर प्रभाव
- श्वसन तंत्र पर असर
- वायु प्रदूषण के कारण अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों के संक्रमण जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। PM2.5 जैसे सूक्ष्म कण श्वसन तंत्र में गहराई तक पहुंचकर सांस लेने में कठिनाई पैदा करते हैं।
- हृदय रोग
- प्रदूषित हवा में सांस लेने से रक्तचाप बढ़ सकता है, जिससे हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है। लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहने से हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
- मस्तिष्क पर प्रभाव
- कई शोध बताते हैं कि वायु प्रदूषण का मस्तिष्क पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे मानसिक रोग, चिंता, और याददाश्त में कमी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- शिशुओं और बच्चों पर प्रभाव
- छोटे बच्चों और शिशुओं में श्वसन तंत्र पूरी तरह से विकसित नहीं होता, जिससे वे वायु प्रदूषण के प्रभाव से जल्दी प्रभावित होते हैं। बच्चों में अस्थमा और एलर्जी जैसी समस्याएं अधिक देखने को मिलती हैं।
वायु प्रदूषण से निपटने के उपाय
- सार्वजनिक परिवहन का उपयोग
- निजी वाहनों के बजाय सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करके वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सकता है। साथ ही, इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग भी वायु प्रदूषण को कम करने में सहायक हो सकता है।
- पराली जलाने पर रोक
- कृषि क्षेत्र में पराली जलाने की समस्या को तकनीकी उपायों से हल किया जा सकता है, जैसे बायो-डीकंपोजर का उपयोग, जिससे पराली को खेत में ही खाद के रूप में बदल दिया जा सके।
- पेड़-पौधों का रोपण
- अधिक से अधिक वृक्षारोपण वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है। पेड़-पौधे वायुमंडल से हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं और वातावरण को स्वच्छ बनाते हैं।
- ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP)
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र जैसे प्रदूषित इलाकों में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) को लागू किया गया है, जिसके तहत प्रदूषण के स्तर के अनुसार विभिन्न प्रकार के कदम उठाए जाते हैं।
- लोगों में जागरूकता बढ़ाना
- वायु प्रदूषण के खतरों और उससे बचाव के तरीकों के बारे में लोगों को जागरूक करना बहुत जरूरी है। इसके लिए स्कूलों, कॉलेजों, और कार्यस्थलों पर जागरूकता अभियान चलाए जा सकते हैं।
निष्कर्ष
वायु प्रदूषण एक गंभीर चुनौती है जो न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही है बल्कि मानव स्वास्थ्य को भी बुरी तरह प्रभावित कर रही है। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार, समाज और प्रत्येक नागरिक का सहयोग आवश्यक है। हमें अधिक से अधिक स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का उपयोग, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा, और वृक्षारोपण जैसे कदम उठाने की आवश्यकता है। अगर हम आज ही इस समस्या पर ध्यान नहीं देंगे, तो आने वाली पीढ़ियां इससे भी ज्यादा खतरनाक स्थिति का सामना कर सकती हैं।